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आईना

आईना

सच को देखो
झुठ परेशान बहुत हैं
ऑखो को देखो
ऑसू में दर्द बहुत हैं
प्यार में देखो लोग
छल कपटी बहुत हैं
चेहरा जितना मासुम
रंग उसके बहुत हैं
जिन्दगी भले ही छोटी हो
लेकिन पहचान बहुत हैं
घाव अभी ताजा
दिल में जख्म बहुत हैं
जुदाई हैं कैसी
तन्हाई बहुत हैं
घर घर में देखो
लड़ाई बहुत हैं
बदलते कलयुग में
कठिनाई बहुत हैं
हर रोज अपने से
लड़ाई बहुत हैं

महेश गुप्ता जौनपुरी

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