✍? गजल ?✍
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आओ धरती पे चरण रखो पाथ॔
संत साधुओ को तारो निस्वार्थ
बिलखता पल विषाक्त क्षण मे
विषैले हवाओ को टारो साक्षाथ॔
छल-बलयुक्त विकृत इस दौर मे
दिखाओ अपना सच्चा पुरुषार्थ
हो बसुंधरा के तुम ही पुत्र सपूत
चले आओ धर वीरता गुणाथ॔
सत-सज्जनो की सुनो आवाज
सिसकती धरती पे करो कृतार्थ
ईमान और बेईमानी के इस रण मे
ऊठा गांडीव करने आओ परमाथं
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श्याम दास महंत
घरघोडा
जिला-रायगढ (छग )
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