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आखरी उड़ान होगी किसे था गुमाँ

आखरी उड़ान होगी किसे था गुमाँ
आसमां में फैलेगा बस धुआं ही धुआं

माना वक़्त के आगे बेबस रात दिन
कैसे लगी आसमां पे हवाओं की बद्दुआ

कितनी आँखें भीगी , हुई जब दर्द की बारिश
किसने है उस दर्द को अंदर से छुआ

इतिहास है गवाह हर ख़ूनी खेल का
इन्सां ही इस दुनिया में कब इन्सां का हुआ

हर रूह को जन्नत बख्शे ख़ुदा कहता ‘अरमान ‘
बस आँख है भीगी ,होठों से निकलती ये दुआ

राजेश’अरमान’

(मलेशियाई विमान दुर्घटना पर )

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