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आखिर खुश तोह हो ना तुम

आखिर खुश तोह हो ना तुम
कभी यह ही मायने रखा करती थी

किताबों के बीच वोह सुखी गुलाब
आज भी बहुत कुछ कहती है

किस्मत ने खिंची कैसी यह डोर
मै यहा और तुम कहा हो गए

अपनो मे तुम्हारा शुमार होता था
पर अब तुम कब पराए हो गए पता ना चला

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