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आज उठाई कलम है मैंने वीरों की तलवारों-सी

आज उठाई कलम है मैंने
वीरों की तलवारों-सी
पंक्ति है मेरी इतनी पैनी
नैनों की तेज कटारी-सी
चलती है जब कलम हमारी
स्याही कम पड़ी जाती है
लफ्ज हैं इतने भावुक मेरे
कलम भी रोने लग जाती है
पर ना प्रेम की बात करूं
अब देश को जगाने की बारी है
लेखन हो या नौ सेना हो
हर क्षेत्र में नारी ही नारी है…

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