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आराइश

उस आसमानी को मैं ज़मीनी बुला बैठा,
उसकी शिद्दत में मैं खुद को भुला बैठा,

आराईश में जिसकी मैं साँझ सवेरे बैठा,
उसकी मोहब्बत में मैं खुद को घुला बैठा,

मेरे जिस्म से मेरी रूह ने अलविदा कहा,
जो उसके बुलावे पे मैं खुद को सुला बैठा।।

राही अंजाना

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