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आरज़ू

जहाँ से मेरी यादें भी न तेरे पास जा पाएँ,

बता ऐसे ठिकाने का हक़ीकत में पता क्या है।

तुम्हारी दी सजा कोई भी सर माथे हमारे पर,

समझना चाहते हैं तुमसे आखिर में ख़ता क्या है॥

 

हम बड़ी दूर जाएँगे, कहो तो दूर जाने को।

कि ऐसा रूठेंगे हम फिर न पाओगे मनाने को।

है अंदाजा मुझे फिर भी जानना चाहता हूँ मैं,

तमन्ना तेरे दिल की तेरी चाहत तो बता क्या है॥

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शिवकेश द्विवेदी

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