गीत लिखते रहूँ
मैं सुनाते रहूँ,
सो गए को जगाते रहूँ।
गर उठें भाव टूटन के मन में
बन रबर मैं मिटाते रहूँ।
निराशा हटाते रहूँ,
आशा जगाते रहूँ,
प्यार भावना को जगा
मैं मुहब्बत लुटाते रहूँ।
झकझोर कर आदमी को
आदमियत बताते रहूँ,
हो रही हो गलत बात तो
अंगुली उठाते रहूँ।
गीत लिखते रहूँ
मैं सुनाते रहूँ,
सो गए को जगाते रहूँ।
गर उठें भाव टूटन के मन में
बन रबर मैं मिटाते रहूँ।