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आहट होते ही

कुएं का मेंढक
समझता है और आएं नहीं
मैं ही टर्राते रहूँ,
राज अपना समझ कर
और पर गुर्राते रहूँ।
दूसरों के आने की
आहट को सुन
पूरा तालाब गंदा कर देता है।

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