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आहट

इतना भिगो मत मुझको
ओ बादल!
दल-दल बन न डुबो दूँ,
मुहब्बत।
खाली-खाली लगूँ
या हरी सी
हरियाली को बिछा दूँ।
चुप ही रहूँ या बता दूँ
मुझे है,
उनसे जरा सा चाहत।
या होने दूँ
उसकी कुछ आहट।

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