आहट Satish Chandra Pandey 3 years ago इतना भिगो मत मुझको ओ बादल! दल-दल बन न डुबो दूँ, मुहब्बत। खाली-खाली लगूँ या हरी सी हरियाली को बिछा दूँ। चुप ही रहूँ या बता दूँ मुझे है, उनसे जरा सा चाहत। या होने दूँ उसकी कुछ आहट।