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इंसान की शक्ल में आज हैवान नज़र आया

इंसान की शक्ल में आज हैवान नज़र आया,
की मैख़ाने के करीब कोई बदजुबान नज़र आया,

कोई ज़माने पे इलज़ाम लागते नज़र आया
तो कोई खुद को ही ऊपरवाले का पैगाम बतलाया,

मैंने तब खुद को यह समझाया
फ़िक्र न कर इनकी ये जोश
चार बूँद के नशे से ही तो उभर कर आया

किसी ने खूब नाम कमाकर भी अपने आप को ध्वस्त पाया,
तो किसी ने इश्क़ में धोखे के नाम पर बार-बार जाम छलकाया,

सुकूँ इस बात का मैंने जरूर पाया,
की इंसान के चंद कष्टों और दुःखों को
मैख़ाने की ताक़त ने दुनिया को दिखाया

फिर भी बार-बार मैं मैख़ाने की चौखट पे
इंसान के रूप में एक हैवान को ही पाया।।

-मनीष

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