इंसान से परमात्मा Pragya 4 years ago कोई वजूद नहीं था तुम्हारा मेरे बिना.. यूंँ ही गुमसुम बैठे रहते थे.. मैंने ही आकर तुम्हारी जिंदगी में रंग भरे होठों को मुस्कुराना सिखाया, हँसना सिखाया, रोना सिखाया। मेरी ही मोहब्बत ने तुम्हें इंसान से परमात्मा बनाया।