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इक अरसे बाद

इक अरसे बाद कुछ लिखने को जी किया
थमे थे जो अश्क आंखों में वो आज बह गये
न जाने क्या दबा था इस दिल में
दरिया बनकर बह गया आज सारा दर्द मेरा

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