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इमली बनाम नीम

चटपटी स्वाद की इमली
व कड़वा होता नीम यहाँ।
मूँह में पानी आ जाते हैं
देख इमली जहाँ -तहाँ।।
बिन खाए सांसों से केवल
स्वास्थ्यलाभ दे नीम हमेशा।
‘विनयचंद ‘ ऐसे हीं संतन
हरे सकल जग जीव कलेशा।।

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