ईश्वर Bhargav Patel 7 years ago झाँक रहा था मैं एक रोज ईश्वर की खिड़की के भीतर, किन्तु दंग रह गया निज प्रतिबिम्ब देख उस खिड़की में! अनायास ही कोई अनहद नाद उठा मस्तिष्क में: ‘देख ले दर्पण यह, देख ले निज ईश्वर की छवि!’