मेरी उदासी भी
मेरे लिए
बन गई खूबसूरत
ये किसीका
कोई असर ही है खूबसूरत।
लेकर बैठा रहता मैं
जब अपनी
रोनी सूरत
उस वक़्त भी
गढ़ी जा रही होती
मेरे भीतर
उसकी कोई नूरत।
असल में तो
मेरे लिये
वो ही है
सबसे ज्यादा खूबसूरत
जिसके असर से
मुझे दिख रहा है
सब कुछ खूबसूरत।
– कुमार बन्टी