उद्धव जी कहते हैं गोपियों से ।
परमेश्वर को पहचानो , सत्य उसे ही जानो ।
क्यों रोती उसके लिए ,ये रोना छोड़ो और मेरी बात मानो।
जो आधार है जगत का वो आधार को पहचानो।
गोपी ने कहा उद्धव जी से कहा
तुम तो ज्ञानी हो हमारा दर्द क्या जानो ।
तुम ये ज्ञान छोड़ो भी हमारा प्रेम पहचानो।
बेदर्दी हो तुम विरह की पीर क्या जानो ।
मानो उस कान्ह को उसे ही प्रीतम मानो ।