उनकी किरण हूँ Satish Chandra Pandey 3 years ago आ गई खिड़की से जगाने सुबह वह, जरा सी तपिश सी शीतल भी है वह। बोली कि मैंने सारे जगत में जाना सबको जगाना है मैंने, दिवाकर ने भेजी उनकी किरण हूँ, अंधेरा हराने निकली हूँ जग में। ऊर्जा का संचार करूँगी सभी में, पत्तों में जाकर भोजन बनूँगी।