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उलझन

गोली चली थी उस रात, हमारे
इरादों की छाती पर
मर गयी हमारी हमदर्दी,
शहनाई की ख़ामोशी सुनकर.
ज़िद्दी दिलो और भोले विचारो
के संग निकले थे हम कुछ साबित करने,
किंतु राह में कही खो गए हम,
सखा जो दुशमन बन गए.
अकेली सी संसार, और सिर्फ एक खिलाडी
कैसी पहली हैं यह प्यास और अजीब यह ज़िंदगानी.

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