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एक ******कवि बना दिया

मुझको निगोड़े ने
न सोने दिया।
डी जे बजाया
और भँगरा किया।।
रात भर मुझको
न सोने दिया।
बड़ी मुश्किल से
थोड़ी- सी आँखें लगी।
ख्वाब में भी आए
और एक सूई लगी।।
ख्वाब को भी न उसने
पूरा होने दिया।।
रात भर मुझको
न सोने दिया।।
सुबह हो गई
यूँही जाग जागकर।
फिर भी कहीं
गया न वो भागकर।।
नींद छाई थी
अँखियों में न ढोने दिया।।
रात भर मुझको
न सोने दिया।।
एक हाथ मोबाइल
और दूजे में चाय का प्याला।
लेकर चुस्की एक
सावन को लाॅग इन कर डाल।।
न लिखने दिया
न हीं पढ़ने दिया।।
पर एक *मच्छर *
‘विनयचंद ‘को कवि बना दिया।।

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