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एक सी बात कहां

हमारी और उनकी
एक सी बात कहां,
वो हैं सच के पुजारी
झूठ की बोरियां हम।
रात सोती है दुनियां
जागते खामखां हम
दिल्लगी कर न पाए
बन गए बेवफा हम।
शक उठा आज मन में
हमारे प्रति उनके
तड़पते रह गए हम
याद में रोज जिनके।

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