दर्द तो है मगर
ऐसे नहीं है टूटना
और को भी देखना है
अब नहीं है टूटना।
यदि हमारे हाथ में
बात होती, शक्ति होती
तब अलग ही बात होती।
सांस है ईश्वर के हाथों
जितनी मिली उतनी मिली
हम व्यथित होते रहे
भावना छिलती रही।
इसलिए खुद ही संभलना है
मन कड़ा अपना बना कर
ठोस भावों को बना कर
रख कदम आगे निकलना है।