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कदम रुकने से मंज़िल कुछ

कदम रुकने से मंज़िल कुछ और दूर हो जाती है
मुसाफिर की थकन से राह मजबूर हो जाती है
हौसलों की हवा से उड़े है जहाँ के गुब्बारे,
उड़ते गुब्बारों की दुनिया में हस्ती मशहूर हो जाती है
राजेश’अरमान’

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