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कद्र करो मां बाप की

तिनका तिनका जोड़ -जोड़ कर,
चिड़िया नीड़ बनाती है।
छोटे-छोटे बच्चों को
ऊंची उड़ान सिखाती है।
एक दिन नीड छोड़कर बच्चे
दूर गगन उड़ जाते हैं,
मां-बाप का कलेजा क टता है
वह याद बहुत ही आते हैं।

वैसे ही इंसान यहां
बच्चों का पालन करता है।
छोटी-छोटी जिद भी
पूरी करने की कोशिश करता है।

लाड प्यार से पाल पोस कर
सही दिशा दिखलाता है।
ऊंची उड़ान सीखते ही
हर बच्चा फिर उड़ जाता है।

सूनी अखियां राह निहारे,
आ जाओ बूढ़ों के सहारे।
अकेले तड़पते मां-बाप बेचारे,
जिन्होंने अपने खून से अपने बच्चे पाले।

मां-बाप क्या है अनाथों से पूछो,
जो तड़पते होंगे हर पल
मां-बाप के दुलार के लिए
एक मीठी पुचकार के लिए
ललाट पर दुलार के लिए
गोदी पाने के लिए
यह सुनने के लिए
चिंता ना करना!
हम पीछे खड़े हैं तुम्हारे सहारे के लिए।

पर स्वार्थी संतान
बेसहारा छोड़ कर चलती बनी
मां-बाप की सूनी आंखें
इंतजार में थकती रही।

निमिषा सिंघल

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