कर्म है बीज Satish Chandra Pandey 3 years ago कर्म है बीज जो भी करूँगा, वह उगेगा, खिलेगा मुझे कल, फल उसी के मुताबिक मिलेगा। धर्म है प्रेम, नफरत नहीं है, प्रेम की राह चलता रहूंगा, कल उसी के मुताबिक मिलेगा।