कलम से लिख दूँ नाम जो सरेआम हो जाए,
ऐसा कोई नहीं है जो फिर अब्दुल कलाम हो जाए,
गीता और कुरान को जो रखते थे मन में,
ऐसा कोई नहीं जो अब मिसाइल मैन हो जाए,
शिक्षा को सफलता का गुण बताये,
बच्चों से खुल के जो प्यार लुटाए,
ऐसा कोई नहीं है जो अब कलम का कलाम हो जाय॥
– राही (अंजाना)