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कविता :- वो अकेला हैं

वो अकेला हैं ,
इसलिए साथ चाहिए ,
जो समझ सके ,
उसके हालत,
उसकी पीडा ।

वो किसान हैं,
वो अन्नदाता हैं ,
कोई और नहीं वो
एक पेड पर
फिलहाल लटकता हुआ ,
आज एक शव है !

वो तरसता हैं
हर बूँद को ,
जिसे हर घडी हम
नलों से बहाते हैं ,
वो अकेला हैं ,
इसलिए साथ चाहिए ।

शहर हुआ विकसित ,
गांव भी हुआ विकसित ,
कोई किसान से तो पूछो ,
वो कितना हुआ विकसित ।

कर्ज में डूबा हैं वो,
पहनने के लिए
दो जोडी ,
आज भी फकीर
बना हैं वो !
अकेला हैं वो ,
इसलिए साथ चाहिए ।

कुछ न सही ,
पर कुछ बूंद पानी को,
कुछ पेडों को
उसके नाम कर दो,
वो अकेला हैं,
इसलिए अब उसका साथ दो ।

अब कुछ नहीं ,
बहुत कुछ करना होगा ,
अब कोई किसान
आत्महत्या न करें ,
दृढ निश्चय
हमें करना होगा ,
अकेला नहीं अब वो,
हम सबको
उसका साथ देना होगा ।।

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