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कातिल

जिंदगी जिस राह पर चल रही है,
उसकी कोई मंजिल नहीं है,
कश्ती साहिल पे थी सही,
मजधार में डूब रही है,
कत्ल हुआ है सर-ए-आम,
पर तू मेरा कातिल नहीं है।

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