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*कान्हा की छवि सा*

कान्हा की छवि सा,
मुख पर तेज उगते रवि सा
मेरी गोद में आया था,
वो मेरे मन को भाया था
भोली सी सूरत है उसकी,
कान्हा सी मूरत है उसकी
मैं उसको पाकर हुई निहाल,
उसकी सूरत-सीरत बेमिसाल

*****✍️गीता

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