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काश मैं होती तितली रानी

काश मैं होती तितली रानी
सबके मन को भाया करती
रंग बिरंगे पंखों से मैं
बच्चों को भी खूब लुभाती
दुनिया भर में घूमा करती
न कोई बंधन में मैं बंधती
खुले गगन की सैर हो जाती
फूल फूल का रस पी जाती
कोई भी सीमा लाँघ मैं जाती
अपने प्यारे पंखों का रंग
तुम्हारे हाथ भी छोड़ मै जाती।।

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