कितना भी ज़िद्दी बन जाऊँ Manish Upadhyay 6 years ago कितना भी ज़िद्दी बन जाऊँ, माँ थोड़ा भी न गुस्सा होती है, एक निवाला अपने हिस्से का खिलाकर माँ फिर चैन से सोती है।। -मनीष