किरदार

खुद की भावनाओं से रिश्ता टूटता रहा, एक नया किरदार अंदर ही अंदर बनता रहा। रिश्तों से रिश्तों तक का सफर तय होता रहा, एक…

कविताएं

कविताऐं मुझे पढ़तीं हैं या मैं कविताओं को यह आज तक समझ नहीं आया क्यूं मेरा किरदार किसे कहानी को न भाया। कभी रुकी कलम…

parchai

यूँ तो रोज़ खडी होती हु उस सूखे किनारे पर तेरा और उस धुप ढलने का इंतज़ार करती हु इंतज़ार करती हु मेरी उस परछाई…

POEM

अभी सूरज उगने नहीं पाया, चांदनी रातों की खुशबू नहीं छाया। एक अद्वितीय रचना है यह, जो आज तक किसी को नहीं आया। बूँदों की…

AMMA

देखो उस बुढ़िया को,घर के कोने मे जो रहती है आँगन मे डली चार पाई, पर रोज़ वो बैठी रहती है शरीर मुरझाया सा ,ना…

एक माँ

सबका ध्यान भी रखती है, अत्यंत दुलार भी करती है, प्यार भी करती है, न कभी बुरा सोचती है, एक माँ। मेरा सताने से भी…

jivaan ki yatra

जीवन की यात्रा जीवन की यात्रा पर हो तुम सवारी, चरणों में धूल उठाते चलो पथिक वीरी। संघर्षों से भरा है यह रास्ता, पर्वतीय कठिनाइयों…

बचपन के दिन

अनमोल बचपन की धरती पर, खेलों का नगाड़ा बजता है। हंसी की बारिश जगमगाती है, चिंताओं से पूरी दुनिया बचती है। बचपन की मजबूत डोर…

गुम

गुम थांडी हवा और बैंड आंखें खोई हुई थी मैं या फिर मदहोश हीं कह लो खुली खिड़की से मैं बहार की दुनिया को निहार…

इंतजार के पल – उम्मीद की किरण संजोए इंतजार के पल हर लम्हा याद में गुजारे इंतजार के पल कभी हसाए तो कभी रुला ही डाले मुस्किल से बीतते है, ये इंतजार के पल। बेचैन कर के ही माने, इंतजार के पल सुकून को दूर भगाए ,इंतजार के पल पहेली सा मन में जगह बनाए उलझन में डाल देते , ये इंतजार के पल। विश्वास से रिश्ता बनाते,इंतजार के पल हर वक्त बस है आजमाते ,इंतजार के पल एक उम्र संग बहा ले जाए ख्वाबों का जहां बसाए ,ये इंतजार के पल।

इंतजार के पल – उम्मीद की किरण संजोए इंतजार के पल हर लम्हा याद में गुजारे इंतजार के पल कभी हसाए तो कभी रुला ही…

Ek Pharmacy ki dukan

एक फार्मेसी की दुकान में कई दवाएं होती हैं। कुछ दवाएं हमें ठीक करती हैं, कुछ हमें जिंदा रखती हैं और कुछ हमें मार देती…

सुनो ना

एक बात कहनी थी तुमसे प्यार था या पता नहीं क्या था पर कुछ तो हुआ था हमें भी, इतने करीब आए थे हम जिस्मो…

साहस

यातनाओं से भरी जिंदगी के रास्तों पर, अकेलापन की छाया ढ़लती चाँदनी संग साथ हो। जब तन्हाई की गहराई में हो गमों की बारिश, तो…

तुम

तुम कुछ यूँ ज़रूरी बन गए कि तुम्हे भुला ना सकी, इस बात को किसी और को बता ना सकी, इस दिल का भोज कभी…

Hindi Poem

एक स्त्री कि व्यथा को बचपन से गृहस्त जीवनी को दर्शते हुए सुंदर कविता… मैं अकेली परी सी बनी  माँ के कर्मों कि बुनी घर काम को करती  सही किताबों को पड़ती  कभी एक दिन होगायी बड़ी  ब्याह को राज़ी ख़ुशी फिर उठी डोली कही  ससुराल ने समझा नहीं  बिन सहारे रोती फिरी  प्रेम मोह से लड़ती रही  ईश्वर ने प्रथना सुनी  संतान से झोली भरी  दर्द भरी कहानी मेरी आँसू जैसे नदी बहीं जीवन मेरा कही अंकही.

Soch

ये सोच ही है जो जुबान से शब्दों के रूप में कही जाती है ये सोच ही है जो इंसान को एक दूसरे से अलग…

New Report

Close