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कुछ खट्टी मीठी छोटी छोटी बातों

कुछ खट्टी मीठी छोटी छोटी बातों
का एक छोटा सा संसार है जिसे
न जाने कितनी सरहदों
कितने धर्मों में बाँट रखा है
बस आती जाती सोच का तमाशा है
जरूरी है तय होना
कौन सी सोच को आना है
कौन सी सोच को जाना है
जाने वाली सोच का विसर्जन
बेहद जरूरी है, जिसमे
मूर्ति भी तुम हो मूर्तिकार भी तुम
राजेश’अरमान’

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