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कुछ पल अपने लिए

जब कभी ,अकेले बैठकर ,
किसी पुरानी बात पर मुस्कुराएंगे।
तब आप ,अपनी उन्मुक्त हंसी पर,
खुद ही चौक जाएंगे।
दिले किताब से धूल झाड़ कर तो देखिए ,
बस एक पन्ना
जरा पढ़ कर तो देख लीजिए ।
बचपन से जवानी की कहानी निकल पड़ेगी ,
फिर एक याद ,
ताजी हवा सी महकने लगेगी।
चलचित्र सारे आंखों में तैर जाएंगे।
जब आप कुछ पल
सिर्फ अपने लिए बिताएंगे।
निमिषा सिंघल

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