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कोई पीर न था

कोई पीर न था
कोई राहगीर न था
बहता हुआ नीर न था
 ज़िंदगी का फ़क़ीर न था
बस कुछ ढूंढती  है आँखें  
ज़माने की कोई तस्वीर न था

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