मेरी कोशिशों को नाकाम करके तुझे क्यो अच्छा लगता है।
तेरे जहन मे ये जलन का मुद्दा ही क्यो चलता रहता है।।
है हिम्मत गर तुझमे तो तू कदम क्यो न आगे बढाता है।
तब देखूं मेरे सिवा तुझे कौन अपना नजर आता है।।
मेरी कोशिशों को नाकाम करके तुझे क्यो अच्छा लगता है।
तेरे जहन मे ये जलन का मुद्दा ही क्यो चलता रहता है।।
है हिम्मत गर तुझमे तो तू कदम क्यो न आगे बढाता है।
तब देखूं मेरे सिवा तुझे कौन अपना नजर आता है।।