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क्या नया है इस जीवन।

क्या नया है इस जीवन में,
वही रोज की शाम सुबह है।
जब हम थक जाते हैं,
फिर उम्मीद के झरोखों से,
झाकते हैं।
बदल जाता है वह सब कुछ,
हर सुबह न‌ई-सी लगती है,
और हर रात-सी न‌ई लगती।

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