ख्वाबो में भी अकेले होने पर जब बस शब्दों का सहारा होता हैं,,
खुद की आधी-अधूरी सुनने पर भी जब मन छठपटा रहा होता हैं,,
हालातों से बाहर आते ही जब ख्यालात नजर आ जाते हैं,,
ह्रदय हारकर तन बिसराकर खुद वहाँ पहुँच तो जाते हैं,,
फिर आसमान को समेटने की चाहत जब हाथ फैलाये रखती हैं,,
खुद को महसूस करने खातिर जब स्वतः आँख बंद हो जाती हैं ,,
तब हौले से एक कोयलिया स्वर ह्रदय-चीर मन बस जाती हैं,,
आँखे खोली, कुछ नहीं पाया, पर दिल की कली-कली खिल जाती हैं,,
तब मंद- मुसकाता सा एक चेहरा आँखों में बस जाता हैं,,,
पास में ना होकर भी वो बस सामने नजर आ जाता हैं,,,
कब होगा वो साथ में मेरे, दिमाग खुद सवालिया रहता हैं,
दिल उसको समझाता हैं, झांक के देख वो मुझमे रहता हैं,,
उसकी कल्पनाओ से परे तुझे अपने भविष्य की नीव रखनी हैं,,
हासिल हो उसे भी मुक्कमल जहाँ,, ऐसी फरियाद तुझको करनी हैं,,