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खुद्दार

लोगो की नफरतो के आगे,
खुद्दार कभी झुकता नहीं|
अडचन चाहे कितनी भी आये,
चलते चलते वो रुकता नहीं|
महफिलों की रौनको से,
फर्क उसे पड़ता नहीं|
संघर्ष की मशाल लिए वो,
भागता हुआ थकता नहीं|
दिखावे के सुन्दर तालाब मे,
कमल कभी खिलता नहीं|
कीचड मे सना कमल का जीवन,
स्वच्छ जल की चाह रखता नहीं|
खुदार बनो,
जीवन को कर्म की तरफ मोड़ दो
मेहनत कर के कमा लो,
भीख, भिखारी के लिए छोड़ दो |

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