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“खुद को ही खुद में उलझा लिया मैंने”

खुद को ही खुद में उलझा लिया मैंने।
मुझे वहम था ,तुझे सुलझा लिया मैंने।।
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दूर तलक देखा सब अँधेरा ही अँधेरा था।
फिर इक रोशनी को पास बुला लिया मैंने।।
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चले थे हवाओं के रुख पर सफर करने।
खुद को ही बीच समंदर में डूबा लिया मैंने।।
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तन्हाई में खुशियो की बातें अब हम क्या करे।
ज़रूरत के मुताबिक खुद को रुला लिया मैंने।।
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टूटकर चूर चूर हो गए ख़्वाब शीशे की तरह।
क्या बताये तुमसे की अब कुछ बचा लिया मैंने।।
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माना की गलत है चुराना कुछ भी किसी से।
पर साहिल जिंदगी को मौत से चुरा लिया मैंने।।
@@@@RK@@@@

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