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खुशबू

फूलों की खुशबू को
बोलो आखिर किसने देखा?
बहती हवाओं को
बोलो आखिर किसने देखा?
खुशबू हीं तो तितली है
और खुशबू हीं तो मधुकर है।
सुरभित पवन नासिका होकर
दिलो दिमाग बीच सुघर है।।

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