खुद ही खाऊं खुद ही पाऊँ
दूजे का हक भी खुद खाऊं
दुनिया का जो भी अच्छा हो
वह मुझे मिले, मैं सुख पाऊँ।
सब पर मेरा राज चले
सब मेरी बातों को मानें
जिसको जैसे चाहे हांकूँ,
इसको दानवता कहते हैं।
मैं भी पाऊँ और भी पायें
खुशियों पर सबका ही हक है,
दुनिया में खुशियां बरसें सब
अपना भाग बराबर खायें।
रहें स्वतंत्र सब जीने को
सबको इज्जत दूँ इज्जत लूँ
इसको मानवता कहते हैं।