खेल में Satish Chandra Pandey 3 years ago खेल में धूल से लतपथ हुआ तन हूँ मैं जो हुआ गीला पसीने से वही वसन हूँ मैं। रम रहा छोटी खुशी में इस तरह का मन हूँ मैं। कम नहीं होती मुहब्बत खुशमिजाजी मन हूँ मैं।