Site icon Saavan

खेल में

खेल में धूल से लतपथ
हुआ तन हूँ मैं
जो हुआ गीला पसीने से
वही वसन हूँ मैं।
रम रहा छोटी खुशी में
इस तरह का मन हूँ मैं।
कम नहीं होती मुहब्बत
खुशमिजाजी मन हूँ मैं।

Exit mobile version