खोज गूलर के फूल के Pt, vinay shastri 'vinaychand' 4 years ago वन-वन भटका खोज में, गूलर के फूल के। आखिर खोज न पाया मैं सिवा एक उसूल के।। फूल नहीं होता इसमें होते केवल फल अगणित। बिन फूलों के फल कहाँ से बोलो आए अगणित।। जैसे पानी बर्फ के रुप वैसे गूलर के फूल अनूप। “विनयचंद “न जान सके मायापति के खेल अनूप।।