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ख्वाबों के दरमियाँ सवाल आ गये हैं

ख्वाबों के दरमियाँ सवाल आ गये हैं!

नाकामियों के फिर ख्याल आ गये हैं!

उठ रहीं हैं लहरें इसकदर यादों की,

दर्द बनकर सूरत-ए-मलाल आ गये हैं!

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