हो जाए जो तेरी मेहर तो
चमक उठेगी किस्मत मेरी
पड़ा तम में स्वप्न जो
दीप्तिमान हो जायेगा
इस गरीब की कुटिया में
आशा का दीपक
टिमटिमायेगा
पर तू ऐसा कहाँ करेगा !
भरा है जिसका पेट नोट से
उसी का तू भी भरेगा
तन पे जिसके फटे चीथड़े,
उसको कहाँ तू
चादर देगा!!
जो पहने कपड़े मलमल के
तू भी उसी का बदन ढकेगा…