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ग़ज़ल

मोहब्बत है गमो की हसिन दांस्ता |
इसकी न कोई मंजिल ,न कोई रास्ता ||
बस सफर-दर-सफर चलते है प्यार में,
मगर हाथ न कुछ किसी को आता ||
खाते है कसमें वफा की लोग प्यार में,
पर वफा की वफाई है न किसी को आता ||
फ़कत दे जाते है दर्द प्यार में एक दुजे को,
मोहब्बत पल भर का है,रह जाता|
योगोन्द्र न करना मोहब्बत किसी से
मोहब्बत है एक अमंजिली रास्ता |
योग्न्द्र निषाद ,घरघोडा (छ.ग.)

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