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गीत

–:?गीत ?:-

सावन का मुग्ध फुहार तू है ।
बूंदो की रमणीक धार तू है ।।
कोमल वाणी मे खिली,
आह! लचक सुरीली ।
खनकती बोली मे ढली,
ओह!आवाज सजीली
सावन झड़ी मस्त बहार तू है ।
सावन का मुग्ध फुहार तू है ।।
हवा की मादकता मधुर,
सरसराहट मे निखरी अजब,
बदन मे ऊमंग की सजी,
कशमकशाहट अजब।।
सावन की बेला साकार तू है ।
सावन का मुग्ध फुहार तू है ।।
पानी मे नहाया यौवन,
सांसो मे रफ्तार बढाये।
दृश्य सावन मे लाजवाब,
मन मे चाहते प्यार जगाये ।
सावनी बारिशकी रसधार तू है ।
सावन का मुग्ध फुहार तू है ।।
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श्याम दास महंत
घरघोडा (रायगढ )
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दिनांक 09-03-2018
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