“गुदड़ी का लाल” Pragya 3 years ago बेबस बालक की होली कैसे हो रंगों से भरी ? एक तो तन पर फटे पुराने चीथड़े लिपटे हैं दूजे दो निवालों की खातिर दुधमुहे बालक तरसते हैं कितना कठिन होगा इनका जीवन यही सोंचकर हम सिहरते हैं बेबस और लाचारी में कैसे इनके दिन कटते हैं !!