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घर

‘यह कैसा घर है!
कि- जिस में
एक भी झरोखा नहीं’
दहलीज़ पर खड़ी हवा बोली।

सुनो
कुछ देर को मुझे अंदर आने दो-
यहां बाहर
बड़ी घुटन है।

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